लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..(3)
तकरीबन सवा छह बजे लड़के वाले आए...।
सुजाता और सुनील उनकी आवभगत में लग गए...। कुछ देर की साधारण बातचीत के बाद सलोनी को बुलाया गया..।
सलोनी ने सभी से मेलमिलाप किया और बातचीत की...। इस बीच सलोनी ने मौका देखकर सुजाता से दादी को बुलाने के लिए कहा... लेकिन सुजाता ने यह कहकर की दादी सो चुकी है... सलोनी की बात को टाल दिया...।
जबकि सच यह था की रमादेवी भीतर कमरे में कान लगाकर सब सुन रहीं थीं और भीतर बैठे बैठे ईश्वर से प्रार्थना कर रहीं थी की सलोनी का रिश्ता तय हो जाए..।
सलोनी को देखने ओर बातचीत करने के बाद... चाय नाश्ते का इंतजाम किया गया...। इन सब में विनी ने सुजाता की बहुत मदद की....। तकरीबन साढ़े सात बजे वो लोग ये कहकर चले गए की हम सोच विचार करके फिर जवाब देंगे....।
एक आम परिवार के लिए यह सब कुछ साधारण सी बात होतीं हैं...। इस आधुनिक युग में भी आज भी कई जगह लड़कियों का रिश्ता ऐसे ही तय होता हैं...। लोग आते हैं.... देखते हैं.... सोच विचार करते हैं फिर हां या ना का जवाब देते हैं...। अगर जवाब हां में आता हैं तो ठीक.... वरना शुरू हो जाती हैं फिर से लड़की की नुमाइश....। फिर कोई ओर आता हैं.... देखता हैं.... पसंद नापसंद करता हैं....। ऐसा तब तक चलता रहता हैं जब तक कोई रिश्ते के लिए हां ना कर दे....। सलोनी के घर भी ऐसा ही था...। सलोनी को पढ़ने लिखने नौकरी तक करने की इजाजत दी गई थी.... लेकिन विवाह.... तो परिवार वालों की मर्जी से ही होना था....।
लेकिन शायद इस मामले में सलोनी थोड़ी खुशकिस्मत थीं की उसे दोबारा नुमाइश के लिए सजना संवरना नहीं पड़ा...। लड़के वालों ने अगले दिन फोन करके रिश्ते के लिए हां कर दी थीं...।
अगले हफ्ते सगाई की रस्म करना तय किया गया... और तीन महीने बाद विवाह का शुभ मुहूर्त निकला...।
सलोनी को जब इस बात का पता चला तो वो तुरंत रमादेवी के पास गई और उसे तय की हुई बात बताई...। साथ ही सलोनी ने शिकायत भी की कि उस दिन वो बाहर लड़के को देखने क्यूँ नहीं आई...।
क्या दादी... आप आई क्यूँ नहीं मिलने... मम्मा ने बोला आप सो गए हो....। आपकी तबीयत तो ठीक हैं ना दादी.... आप इस वक्त कभी सोते तो नहीं हो....!
अरे बिल्कुल ठीक हूँ परी.... वो बस उस दिन पता नहीं कैसे आंख लग गई थीं....।
चलो कोई बात नहीं दादी... मैं आपको फोन में दिखा देतीं हूँ... आज ही रवि ने फोटो भेजा हैं...।
आए हाय.... परी तु तो नाम ले रहीं हैं उसका....।
अरे दादी.... आजकल तो सब नाम से ही बुलाते हैं...। मार्डन जमाना हैं दादी...। अच्छा अभी वो सब छोड़ो ओर ये बताओ आपके पास नई साड़ी हैं या मैं लेकर आऊं...। एक काम करतीं हूँ दादी मैं लेकर ही आतीं हूँ...। आपके पसंद के रंग की...। वैसे दादी... आप हमारे साथ बाहर आकर क्यूँ नहीं रहतें हो... कभी साथ में बाहर भी नहीं चलते हो... कभी बाहर का कुछ खाते भी नहीं हो..। दादी ऐसे कब तक दादाजी की याद में अकेले अकेले इस कमरे में बैठी रहोगी...। मैने कितनी बार कहा मम्मा से... आप हमेशा मम्मा को बोल देते हो की इसी कमरे में दादाजी की यादें बसी हैं... इसी कमरे में रहना हैं...। दादी दादाजी को गुजरे हुवे पन्द्रह साल हो चुके हैं..। आप कब तक ऐसे ही उनकी यादों में जिंदगी बिताएंगी...। आप थोड़ा बाहर आएंगी जाएंगी तो आपको भी बेहतर महसूस होगा...। प्लीज दादी इस बार मेरे साथ आपको शापिंग करने तो चलना ही हैं...। कोई बहाना नहीं...। शादी की सारी शापिंग आपके साथ करूंगी...।
सलोनी वही सब बोल रहीं थीं जो सुजाता ने उसे बताया था...। सच और झूठ के बारे में वो कुछ नहीं जानती थीं... ना ही रमादेवी ने कभी उसे सच्चाई से रुबरु करवाने की हिम्मत दिखाई...।
रमादेवी मुस्कुराते हुए :- मुझे भला आज कल के फैशन की क्या समझ बेटा...और मैं तेरे साथ चलीं तो पूरे दिन में एक दुकान पर ही मुश्किल से चल सकेंगी...। तु विनी के साथ अपनी शापिंग कर लेना परी...। चल अब मुझे फोटो तो दिखा...। देखुँ तो मेरी परी का राजकुमार दिखता कैसा हैं...।
सलोनी ने अपने मोबाइल में रवि की फोटो दिखाई..। फोटो देखते ही रमादेवी बोलीं :- लड़का तो अच्छा हैं परी..। ईश्वर करे तुम दोनों की जोड़ी सलामत रहे..। हमेशा खुश रहो...।
दादी मैं आपको बाकी सब की भी फोटो दिखाती हूँ....।
उसी वक्त सुजाता ने सलोनी को आवाज़ लगाई....।
रमादेवी :- परी... जा बेटा तेरी मम्मा बुला रहीं हैं..। मुझे बाद में आराम से सबके बारे में अच्छे से बताना..।
ठीक हैं दादी... मैं आतीं हूँ बाद में..।
सलोनी और रमादेवी का रिश्ता बहुत ही प्यारा और सच्चा था... लेकिन इस रिश्ते पर अब गृहण लगने वाला था...। कैसे...??
जानते हैं अगले भाग में.. ।
Gunjan Kamal
26-Sep-2022 05:49 PM
शानदार
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Barsha🖤👑
12-Sep-2022 03:17 PM
Beautiful
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Pallavi
10-Sep-2022 10:57 PM
Very nice
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